zindgi shayari


ऐ ज़िंदगी मुझे मेरी हैसियत का पता है 
तू बेवजह मुझे सताया न कर 
मैं भी इंसान हूँ पत्थर नहीं
 हर बार मुझे रुलाया न कर 
जान मांग ले बस एक बार वो भी दे देंगे 
लेकिन बार - बार मुझे आजमाया न कर !

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